अमरुद की खेती कैसे करे
अमरुद (Guava) की खेती एक लाभकारी कृषि कार्य हो सकती है, क्योंकि यह फलस्वरूप अच्छे दामों में बिकता है और इसमें पोषण का भी अच्छा स्रोत है। अमरुद की खेती के लिए कुछ विशेष कदम हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए आप इसे सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
1. भूमि चयन और जलवायु
- जलवायु: अमरुद उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगता है। यह गरम और आर्द्र जलवायु में अच्छे से बढ़ता है, और 25-30°C तापमान में सबसे अच्छा होता है। हल्की सर्दी में भी यह उग सकता है, लेकिन अधिक ठंड से बचाना जरूरी है।
- भूमि: अमरुद के लिए हल्की और जलनिकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। रेतिली या बलुआमिट्टी में इसकी वृद्धि अच्छी रहती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- जलनिकासी: पानी की निकासी वाली मृदा सबसे उत्तम है, क्योंकि अत्यधिक नमी या पानी जमा होने से जड़ें सड़ सकती हैं।
2. भूमि की तैयारी
- साफ-सफाई: जिस भूमि में अमरुद उगाना है, उसे अच्छे से साफ करें। खरपतवार, पत्थर आदि को हटा दें।
- खोदाई: मिट्टी को अच्छे से जुताई करें ताकि मिट्टी में हवा का संचार हो सके और जड़ें आसानी से फैल सकें। सामान्यत: 15-20 सेंटीमीटर गहरी खोदाई करें।
- क्यारियां बनाना: क्यारियां या पंक्तियाँ बनाएं, ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिले। पौधों के बीच 5-6 मीटर का अंतर रखना चाहिए।
3. पौधों का चयन और रोपाई
- पौधे: अमरुद के पौधे बीज या कलम (कटिंग) से लगाए जा सकते हैं। यदि आप जल्दी फल लेने की सोच रहे हैं तो कलम से रोपण करें, क्योंकि बीज से उगने वाले पौधों को 4-5 साल लग सकते हैं फल देने में, जबकि कलम से 2-3 साल में फल आने लगते हैं।
- पौधों की रोपाई: अमरुद के पौधे सीधे धूप में अच्छे से बढ़ते हैं। पंक्तियों में 5-6 मीटर की दूरी रखें और गहरे गड्ढे (60x60x60 सेमी) खोदकर पौधों को रोपें। पौधों के आसपास हल्का पानी डालें।
4. सिंचाई
- प्रारंभिक सिंचाई: रोपण के बाद पौधों को अच्छी तरह से पानी दें, ताकि पौधे जड़ पकड़ सकें।
- नियमित सिंचाई: अमरुद को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, विशेषकर गर्मी के मौसम में। पानी की अधिकता से बचें क्योंकि यह जड़ों के सड़ने का कारण बन सकता है।
- सूखा सहनशीलता: अमरुद हल्के सूखे को सहन कर सकता है, लेकिन फल बनने के दौरान नियमित पानी देना जरूरी होता है।
5. खाद और उर्वरक
- ऑर्गेनिक खाद: भूमि में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए सड़ी-गली गोबर की खाद (FYM) और कम्पोस्ट डालें।
- रासायनिक उर्वरक: NPK (15:15:15) जैसे संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम से पौधों को वृद्धि और फूल-फल में मदद मिलती है। इसे साल में 2-3 बार दें।
- सूक्ष्म पोषक तत्व: आवश्यकतानुसार पत्तियों को सूक्ष्म पोषक तत्वों (जिंक, मैग्नीशियम, बोरान) से स्प्रे करें।
6. छंटाई और देखभाल
- पौधों की छंटाई: समय-समय पर अमरुद के पौधों की छंटाई करें ताकि कमजोर और सूखे तने हटाए जा सकें। यह पौधों को स्वस्थ रखने में मदद करता है और अच्छे फल के लिए स्थान बनाता है।
- वृद्धि को नियंत्रित करना: अमरुद के पौधों को प्रौढ़ अवस्था में 2-3 मीटर तक बढ़ने दें, फिर ऊर्ध्वाधर वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए शाखाओं को काटें।
7. कीट और रोग नियंत्रण
- कीटों से बचाव: अमरुद पर विभिन्न कीटों जैसे की फल मक्खी, मच्छर, एफिड्स आदि का हमला हो सकता है। इनके नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक जैसे नीम तेल का छिड़काव करें।
- रोग नियंत्रण: अमरुद में फफूंद संक्रमण (ब्लाइट, रूट रोट) हो सकता है, इसके लिए फफूंदनाशक का उपयोग करें। पानी की अच्छी निकासी और अधिक पानी से बचाव से इनसे बचा जा सकता है।
8. फूल आना और फल उत्पादन
- फूल आना: अमरुद का पौधा आमतौर पर 1-2 साल के बाद फूलता है। इन फूलों को अच्छा मौसम और सही सिंचाई मिलती है, तो फलन की प्रक्रिया अच्छे से होती है।
- फल उत्पादन: अमरुद में फूल आने के बाद 3-4 महीने में फल तैयार होते हैं। फल की पहचान तब होती है जब वह हरे से पीले या लाल रंग में बदलने लगे और हल्का सा मुलायम हो।
- फलों का संग्रह: जब फल पूरी तरह से पक जाएं, तो उन्हें सावधानीपूर्वक काट लें। अधिक पकने पर फल गिर सकते हैं, इसलिए जल्द से जल्द कटाई करना उचित है।
9. संग्रहण और विपणन
- संग्रहण: अमरुद जल्दी खराब हो सकता है, इसलिए इसे ठंडी और सूखी जगह पर संग्रहित करें। फ्रिज में भी रखा जा सकता है।
- विपणन: अमरुद की अच्छी मांग होती है, विशेष रूप से ताजे फल के रूप में। आप इसे स्थानीय बाजारों, सुपरमार्केट या ऑनलाइन बेच सकते हैं। इसके अलावा, आप अमरुद का जूस, जैम, आचार आदि बनाकर भी बिक्री कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अमरुद की खेती सही तरीके से की जाए तो यह एक बहुत लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। सही भूमि, जलवायु, सिंचाई और उचित देखभाल से आप अच्छे फल की पैदावार पा सकते हैं। किसान यदि इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए खेती करें तो उनका अमरुद व्यवसाय सफल हो सकता है।